बाल दिवस पर, बॉटल्‍स फॉर चेंज ने अपने सबसे शक्तिशाली इंफ्‍लुएंसर्स यानी बच्चों के जरिये प्लास्टिक रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करने के लिए 20 झुग्‍गी बस्तियों तक पहुंचने का संकल्प लिया

~ इस पहल के जरिये बिसलरी मुंबई की झुग्‍गी बस्तियों में प्लास्टिक रीसाइक्लिंग और सोर्स सेग्रीगेशन के बारे में जागरूकता फैलाएगी ~

मुंबई,15 नवंबर 2021 (GNI): बॉटल्‍स फॉर चेंज ने शहर की विभिन्न झुग्‍गी बस्तियों में इस्तेमाल में लाई गई प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग और सोर्स सेग्रीगेशन की आदत को विकसित करने के लिए एक अभियान चलाया है। इसने 20 से अधिक झुग्‍गी बस्तियों तक पहुंचने और इस्तेमाल की गई प्लास्टिक के निपटान के सही तरीकों के बारे में जागरूकता फैलाने का लक्ष्य तय किया है। प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और स्थायित्वपूर्णता पर इसके व्यापक प्रभाव का मुद्दा एक चिंता का विषय है जिसे विभिन्न स्तरों पर संबोधित किया जा रहा है। बिसलेरी का हमेशा से मानना ​​रहा है कि जागरूकता कम उम्र से ही शुरू हो जाती है। इस पहल के माध्यम से, कंपनी का उद्देश्य युवा पीढ़ी को इस्तेमाल में लाई जा चुकी प्लास्टिक के सोर्स सेग्रीगेशन (सोर्स पर ही अलग करने) के महत्व के बारे में शिक्षित करना और उपयोग के बाद इसे साफ और सूखा रखना है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 2019  की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सालाना लगभग 660,787.85 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जिसमें से लगभग 60% की रिसाइक्लिंग की जाती है। लगभग 43% पैकेजिंग सामग्री सिंगल यूज प्लास्टिक से बनाई जाती है। शहरी झुग्‍गी बस्तियों का सामना करने वाली सबसे बड़ी पर्यावरणीय चुनौती में से एक अपशिष्ट प्रबंधन है। इससे निपटना नागरिकों और स्थानीय अधिकारियों के लिए भारी साबित हो रहा है। इस स्थिति से निपटने के प्रयास में, बिसलरी का बॉटल्‍स फॉर चेंज इस्तेमाल की गई प्लास्टिक को स्रोत पर ही अलग करने और उसकी रिसाइक्लिंग के बारे में जागरूकता पैदा कर रहा है। इस पहल के द्वारा एक स्वच्छ, हरा-भरा और एक स्थायित्वपूर्ण  वातावरण बनाने के लिए अथक प्रयास किया जा रहा है।

इस पायलट परियोजना के तहत, बिसलरी ने मुंबई, नवी मुंबई और ठाणे में नौ अलग-अलग झुग्‍गी बस्तियों में निवासियों के लिए विशेष जागरूकता सत्र आयोजित किए। इस पहल में 300 से अधिक परिवारों की भागीदारी देखी गई, जिसमें 150 से अधिक बच्चे शामिल हुए। इस पहल से कुल 200 किलोग्राम से अधिक हार्ड और सॉफ्ट प्लास्टिक सामग्री (जैसे रैपर, कंटेनर, पैकिंग सामग्री आदि) एकत्र की गई। इसमें शामिल बच्चों के उत्साह ने बॉटल्‍स फॉर चेंज को इसे एक सतत गतिविधि का रूप लेने और इसे 20 से अधिक झुग्‍गी बस्तियों तक बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। चूंकि प्लास्टिक एक रिसाइकिल योग्य संसाधन है, इसलिए इस्तेमाल की गई प्लास्टिक के प्रबंधन में शामिल प्रत्येक हितधारक को वह मूल्य मिलेगा, जो पुराने अखबार के लिए मिलता है। यह मूल्य स्थानीय स्वयं सहायता समूहों को दिया जा सकता है और वे बदले में इसका उपयोग स्लम के बच्चों की कल्याणकारी गतिविधियों के लिए करते हैं। इसे प्राप्त करने के लिए, उपयोग किए गए प्लास्टिक को स्वच्छ और सूखे रूप में स्रोत से अलग करना बहुत महत्वपूर्ण है। इसका बड़ा उद्देश्‍य यूज्‍ड प्लास्टिक के लिए इस वैल्यू चेन को सर्कुलर इकोनॉमी में स्थापित करना है।

इस प्रभावशाली पहल के बारे में, सुश्री अंजना घोष, डायरेक्‍टर – कॉर्पोरेट सामाजिक उत्‍तरदायित्‍व, बॉटल्‍स फॉर चेंज ने कहा, “पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए, हमारी बॉटल्‍स फॉर चेंज पहल पिछले कुछ वर्षों से प्लास्टिक के उपयोग और उसके कई नवीन तरीकों से निपटान के बारे में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही है। इस बाल दिवस पर, हमने बच्चों, वयस्कों और समुदाय के चैंपियन के बीच स्रोत पर उचित अलगाव और रिसाइकिल की आदत पैदा करने के लिए मुंबई की झुग्‍गी बस्तियों से जुड़ने का फैसला किया। हम आने वाली पीढ़ियों के लिए सकारात्मक बदलाव लाने के अपने प्रयासों में दृढ़ विश्वास रखते हैं।”

प्लास्टिक को कई लोग पर्यावरण के लिए खतरा मानते हैं। हालांकि, अगर इसका जिम्मेदारी से इस्तेमाल और निपटान किया जाए, तो यह स्थायित्वपूर्णता के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है। इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम प्लास्टिक को उसके इस्तेमाल के बाद साफ करना, उसे अलग-अलग करके रीसाइक्लिंग के लिए भेजना है। इस छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कदम में जबरदस्त संभावनाएं हैं। यदि भारत प्लास्टिक अपशिष्‍ट का बेहतर प्रबंधन करने में सक्षम हो जाए, तो देश के पास अपने उत्पादित प्लास्टिक का 100% रिसाइकिल करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण के संरक्षण का मौका है।ends

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