बायर ने भारत में आइलिया ईजी पे प्रोग्राम मुहैया कराने के लिये आरोग्य फाइनेंस के साथ भागीदारी की§ बायर ने भारत में आइलिया ईजी पे प्रोग्राम (Eylea Easy Pay) प्रस्तुत करने के लिए आरोग्य फाइनेंस के साथ साझेदारी की है। इसका लक्ष्य रोगियों द्वारा उपचार के अनुपालन को बेहतर बनाना और खोजपरक उपचार समाधान आइलिया तक उनकी पहुँच बढ़ाना है। यह प्रोग्राम देशभर के आई हॉस्पिटल्स में उपलब्ध होगा।§ आइलिया या एफ्लिबरसेप्ट सॉल्यूशन डायबिटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) और वेट एज-रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन के उपचार के लिये है, यह दोनों दृष्टिबाधा उत्पन्न करने वाले रोग हैं।§ अभी भारत में डायबिटीज के 6 करोड़ 70 लाख मामले हैं। डायबिटीज मेलिटस के रोगियों में दृष्टिहीनता का प्रमुख कारण डायबिटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) है, जिससे 10 प्रतिशत रोगी प्रभावित हैं।[1] भारत में एएमडी की व्यापकता की दर 1.2 प्रतिशत से लेकर 4.7 प्रतिशत तक है[2] और यह रोग प्रायः 40 साल या उससे ज्यादा आयु के लोगों को प्रभावित करता है। वेट एएमडी की प्रधानता एएमडी के मामलों में लगभग 10 प्रतिशत है, लेकिन एएमडी से सम्बंधित मध्य दृष्टि के खोने में लगभग 90 प्रतिशत है।[3] |
मुंबई, 21 दिसंबर, 2020 (GNI): बायर ने आज सामाजिक स्वास्थ्यरक्षा उपक्रम आरोग्य फाइनेंस के साथ अपनी भागीदारी की घोषणा की है। यह भागीदारी भारत में आइलिया ईजी पे (Eylea Easy Pay) प्रोग्राम मुहैया कराने के लिये की गई है, ताकि आइलिया (एफ्लिबरसेप्ट सॉल्यूशन) इलाज तक पहुँचने में रोगियों की मदद के लिये आसान और किफायती भुगतान समाधान प्रदान किये जा सकें। इस भागीदारी के माध्यम से बायर और आरोग्य फाइनेंस ने खोजपरक उपचार समाधानों तक पहुँच को बढ़ाया है और रोगियों तथा उनके परिवारों के त्वरित आर्थिक बोझ को कम किया है। यह फाइनेंसिंग समाधान देशभर में उपलब्ध होंगे। महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, बंगाल, केरल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, आदि जैसे राज्यों में सेंटर्स अपने रोगियों को यह प्रोग्राम उपलब्ध कराएंगे।
आज भारत में लगभग 6 करोड़ 70 लाख लोग डायबिटीज से प्रभावित हैं[4] और उनमें से लगभग 30 लाख से 45 लाख लोगों को डायबिटिक मैक्युलर एडीमा (डीएमई) जैसे डायबिटिक आई के रोगों के कारण दृष्टि सम्बंधी समस्याएं हैं।[5] बायर के आइलिया का उपयोग बुजुर्गों को प्रभावित करने वाले वेट एएमडी और डायबिटीज के रोगियों को प्रभावित करने वाले डीएमई के उपचार के लिये किया जाता है और सीधे आँख में इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है। चूंकि आइलिया आँखों के पुराने रोगों का जारी उपचार है, इसलिये उपचार का अनुपालन करना महत्वपूर्ण होता है।
बायर ने भारतीय रोगियों की उपचार तक पहुँच और उसके अनुपालन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से साल 2020 में ‘‘आइलिया 4 यू’’ (Eylea 4 U) पेशेंट असिस्टेन्स प्रोग्राम लॉन्च किया। इस लक्ष्य को जारी रखते हुए बायर और आरोग्य फाइनेंस ने रोगियों और उनके परिवारों को आमतौर पर प्रभावित करने वाले उपचार के अग्रिम वित्तीय बोझ को कम कर रोगी द्वारा अनुपालन की मुख्य समस्या को दूर करने के लिये भागीदारी की है। इस भागीदारी के लाभों में कम अग्रिम भुगतान, भुगतान के विकल्पों में लचीलापन और आसान ईएमआई शामिल हैं। आइलिया ईजी पे का लक्ष्य उपचार तक पहुँच और रोगी को केन्द्र में रखते हुए रोग के प्रभावी नियंत्रण पर रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों के केन्द्रित रहने में उनकी मदद करना है।
बायर ज़ाइडस फार्मा के मैनेजिंग डायरेक्टर और कंट्री डिविजन हेड साउथ एशिया, मनोज सक्सेना ने कहा, ‘‘बायर में हम हमेशा से उपचार के लिये रोगी को महत्व देने वाले दृष्टिकोण के लिये प्रतिबद्ध रहे हैं। हमारा लक्ष्य स्वास्थ्य की अधूरी जरूरतों को पूरा करने के लिये प्रभावी और खोजपरक समाधान प्रदान करना और उपचार लेने तथा उसका अनुपालन करने में रोगियों को सहयोग देना है। आरोग्य फाइनेंस के साथ भागीदारी कर हम दृष्टि को सुधारने और उसे बनाये रखने के लिये समाधान देने और बेहतर स्वास्थ्य की यात्रा में रोगियों को सहयोग देने की अपनी प्रतिबद्धता का विस्तार कर रहे हैं।’’
इस भागीदारी पर टिप्पणी करते हुए आरोग्य फाइनेंस के को-फाउंडर और सीईओ जोस पीटर ने कहा, ‘‘आरोग्य फाइनेंस में हम ऐसा इकोसिस्टम बनाने के लिये काम कर रहे हैं, जो उपचार के लिये वित्तीय समाधानों की आसानी के माध्यम से रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों को फायदा पहुँचाए। आरोग्य फाइनेंस ने बायर के साथ भागीदारी की है, ताकि हम लोचशील वित्तीय समाधान देने के लिए साथ मिलकर काम कर सकें। ये समाधान भारत में ज्यादा से ज्यादा लोगों को खोजपरक थेरैपी का लाभ लेने में समर्थ बनाने के लिये रोगियों की उपचार तक पहुँच को बढ़ाते हैं।
डॉ. निशांत कुमार हिन्दुजा हॉस्पिटल में कंसल्टेन्ट ऑफ्थैल्मोलॉजिस्ट, रेटिना सर्जन और यूवीटिस स्पेशलिस्ट हैं। वे अपने चैरिटेबल फाउंडेशन आईबीटीज के माध्यम से डायबिटीज और आँखों की निशुल्क जाँच के लिये परोपकारी कार्य भी करते हैं, जिसके कारण उनके नाम कई गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत में उस अंधेपन की ओर ध्यान देने की बेहद आवश्यकता है, जिससे बचा जा सकता है। महामारी के कारण रोकथामपरक देखभाल, जाँच और लंबी अवधि के उपचार का अनुपालन प्रभावित हुआ है। मुंबई में हमने वेट एज रिलेटेड मैक्युलर डिजनरेशन और डायबिटिक मैक्युलर एडीमा के उपचार के अनुपालन में गिरावट देखी है, जबकि यह दोनों भारत में अंधेपन के प्रमुख कारण हैं और ऐसा अक्सर आर्थिक बाधाओं के कारण होता है। कुछ रोगी अंधा कर देने वाले इन रोगों के उपचार के लिये अग्रिम खर्च नहीं जुटा सकते हैं, लेकिन अगर उन्हें समय दिया जाए, तो वे इस राशि का भुगतान कर सकते हैं। बायर के साथ मिलकर आरोग्य फाइनेंस आर्थिक सहयोग के जिस प्रोग्राम की पेशकश कर रहा है, वह निश्चित रूप से उपचार के अनुपालन में रोगियों की मदद करेगा और सुनिश्चित करेगा कि वे सर्वश्रेष्ठ उपचार विकल्पों तक पहुँच सकें। ऐसे प्रोग्राम ज्यादा आत्मविश्वास और सुविधा के साथ स्वास्थ्य पर ध्यान देने में रोगियों और उनकी देखभाल करने वालों को सक्षम बनाते हैं और आर्थिक बोझ को कम करते हैं।’’ends
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