From right to left: Aizah (patient) with her great grand nani (donor) & family
मुंबई, 18 दिसंबर, 2020 (GNI): एक अनूठे और दुर्लभ मामले में, 70–वर्षीय परदादी ने अपनी 4-वर्षीय परपोती को किडनी दान कर उसे नया जीवन प्रदान किया। यह एक असाधारण मामला है जिसमें प्रत्यारोपण हेतु दाता और ग्रहणकर्ता के बीच चार पीढि़यों का अंतर है। आइज़ा तनवीर क़ुरेशी नाम की इस बच्ची में फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोक्लेरोसिस (एफएसजीएस) नामक बीमारी के चलते किडनी में अंतिम चरण की समस्या का पता चला था, और उसकी जान बचाने के लिए तत्काल किडनी प्रत्यारोपण किया जाना अत्यावश्यक था। कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल (केडीएएच) की ट्रांसप्लांटेशन टीम ने 25 नवंबर, 2020को सफलतापूर्वक यह प्रत्यारोपण किया और सामान्य रूप से उनके ठीक हो जाने के बाद, दाता एवं ग्रहणकर्ता दोनों को ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी।
डॉ. शरद शेठ, कंसल्टेंट और हेड – नेफ्रोलॉजी, केडीएएच ने बताया, “रोगी अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। जब वह हमारे अस्पताल में आई, तो उसके चेहरे पर 6 महीने से सूजन थी, जो हाल के हफ्तों में और अधिक बढ़ गयी थी और उसे भूख न लगना, मतली व उल्टी की दिक्कतें हो रही थीं। मेटाबोलिक एसिडोसिस के साथ-साथ, उसके गुर्दे की क्रिया गंभीर रूप से खराब हो गयी थी। उसे तुरंत हेमोडायलिसिस पर रखा गया और उसका किडनी प्रत्यारोपण करना बेहद ज़रूरी हो गया।”
उन्होंने आगे बताया, “अपने 40 वर्षों के प्रैक्टिस में, दाता और ग्रहणकर्ता की उम्र और उनके संबंधों की दृष्टि से, शायद यह सबसे अनूठा प्रत्यारोपण था।”
रोगी के पूरे परिवार में 70 वर्षीय परदादी की ही किडनी मैच की और वह स्वस्थ भी थीं और उनका रक्त समूह भी रोगी के साथ संगत था। इसके अलावा उनकी उम्र को देखते हुए पर्याप्त मूल्यांकन और जांच की गई, और वो किडनी डोनेट करने के लिए उपयुक्त पायी गयीं। सफल प्रत्यारोपण के बाद, दाता और प्राप्तकर्ता दोनों ठीक हैं। परदादी को पांचवें दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। रोगी की किडनी के कार्य में सुधार दिखा और उसे 14वें दिन छुट्टी दे दी गई।
डॉ. शेठ की देखरेख में, कोकिलाबेन अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम, जिसमें डॉ. संजय पांडे, हेड, एंड्रोलॉजी एंड रिकंस्ट्रक्टिव यूरोलॉजी, डॉ. अत्तर मोहम्मद इस्माइल, कंसल्टेंट यूरोलॉजी व रेनल ट्रांसप्लांट सर्जन शामिल थे, द्वारा सफलतापूर्वक सर्जरी की गई।
मरीज की मां ने उनके प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “कोकिलाबेन अस्पताल में हमें जो भी मदद मिली उसके लिए हम उनके आभारी हैं। कोकिलाबेन अस्पताल में लाने का हमारा निर्णय सही था, जहां उनका बेहतर उपचार हो पाया। मेरी छोटी-सी बच्ची को लगभग एक दिन के अंतर पर हेमोडायलिसिस पर घंटों गुजरते देखना बहुत दर्दनाक था। हम डॉ. शेठ और उनकी टीम के प्रति हमेशा आभारी रहेंगे, जिन्होंने मेरी बेटी को अन्य बच्चों की तरह सामान्य जीवन जीने का अवसर दिया। मेरी नानी मेरे बच्चे के लिए एक रक्षक के रूप में आई और उन्हें धन्यवाद देने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।" ends
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