Rays Power Infra announced closure of INR 127 Crore Equity Capital Fund Raise - "Mother's Embrace" A Photography Exhibition will be displayed by Renowned Photographer Devendra Naik at Jehangir Art Gallery in Mumbai - DAM Capital Advisors collects Rs 251 cr from Anchor Investors - Blackstone backed Ventive Hospitality Limited raises ₹ 719.55 Crores from 26 anchor investors at the upper end of the price band at ₹643 per equity share - The Inventurus Knowledge Solutions Limited listing ceremony held at NSE today - “ENCOUNTER WITH THE MOMENT” An Exhibition of Photographs by Gurdeep Dhiman at Jehangir Art Gallery in Mumbai - VENTIVE HOSPITALITY LIMITED ANNOUNCED ITS Rs. 16,000 MILLION INITIAL PUBLIC OFFERING (IPO) TO OPEN ON FRIDAY, DECEMBER 20, 2024 Sets Price Band fixed at Rs. 610 to Rs. 643 per equity share of face value of Rs. 1 each - Dr Agarwals Eye Hospital, Chembur, launches advanced laser system for precise and bladeless corneal surgery, Renowned actress Saiee Manjrekar inaugurates the state-of-the-art WaveLight FS200 Femtosecond Laser System - DAM Capital Advisors Limited announced its initial public offering (IPO) to open on Thursday, December 19, 2024 Sets Price Band fixed at ₹ 269/- per equity share to ₹ 283/- per equity share of the face value of ₹2 each - TRANSRAIL LIGHTING LIMITED ANNOUNCED ITS INITIAL PUBLIC OFFERING (IPO) TO OPEN ON THURSDAY, DECEMBER 19, 2024 Sets Price Band has been fixed at ₹ 410.00 to ₹ 432.00 per equity share, of face value ₹2 each - CONCORD ENVIRO SYSTEMS LIMITED ANNOUNCED ITS INITIAL PUBLIC OFFERING (IPO) TO OPEN ON THURSDAY DECEMBER 19, 2024 Sets Price Band fixed at ₹ 665 to ₹ 701 per equity share of face value of ₹5 each

ग्‍लोबल एनर्जी, इंडस्‍ट्री एवं फाइनेंशियल लीडर्स ने नेट-जीरो कार्बन इकोनॉमी के लिए अगले दशक की प्राथमिकताओं को तय किया, एक वर्ष पहले एनर्जी ट्रांजिशंस कमिशन की नई रिपोर्ट कॉप26 में 2030 तक इस दिशा में जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया गया है, ताकि इस सदी के मध्य तक जीरो-कार्बन अर्थव्यवस्था को हासिल किया जा सके

 
नई दिल्ली, 16 सितंबर 2020 – वैश्विक ऊर्जा उत्पादकों, ऊर्जा-गहन उद्योगों, वित्तीय संस्थानों और पर्यावरणीय समर्थकों के 40 दिग्गजों के एक गठबंधन ने इस रिपोर्ट में यह तर्क दिया है कि पूरा विश्व मध्य शताब्दी तक नेट जीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन प्राप्त कर सकता है और उसे ऐसा करना भी चाहिए। सतत ऊर्जा और औद्योगिक उत्सर्जन को संतुलित करने के लिए नकारात्मक उत्सर्जन पर बगैर किसी स्थायी निर्भरता के  यहां “जीरो का मतलब जीरो ही होना चाहिए”। निरंतर ऊर्जा और औद्योगिक उत्सर्जन को संतुलित करने के लिए नकारात्मक उत्सर्जन पर कोई स्थायी निर्भरता नहीं होनी चाहिए। इसमें इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए अगले दशक में उठाए जाने वाले जरूरी कदमों का भी उल्लेख किया गया है। गौरतलब है कि इस गठबंधन में आर्सेलर मित्तल, बैंक ऑफ अमेरिका, बीपी, स्टेट काउंसिल ऑफ चाइना के विकास अनुसंधान केंद्र, ईबीआरडी, एचएसबीसी, आईबेरड्रोला, ऑर्स्टेड, शेल, सिनोपेक कैपिटल, टाटा समूह, वोल्वो वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट आदि शामिल हैं।

अपनी नई रिपोर्ट ‘मेकिंग मिशन पॉसिबल – डिलीवरिंग ए नेट-जीरो इकोनॉमी’ के जरिये एनर्जी ट्रांजिशंस कमिशन (ईटीसी) बताता है कि स्वच्छ विद्युतीकरण को अकार्बनीकरण का प्राथमिक मार्ग होना चाहिए। यह रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि नवीकरणीय ऊर्जा की लागत में नाटकीय गिरावट, इसे आसानी से किफायती बनाती है। रिपोर्ट यह तर्क भी देती है कि विद्युत आपूर्ति में होने वाली बढ़ोतरी की पूर्ति अब जीरो-कार्बन वाले स्रोतों से होनी चाहिए, ताकि आर्थिक वृद्धि और रहन-सहन के बढ़ते स्टैंडर्ड  को सहयोग करने के लिए किसी नए कोयले से चलने वाली बिजली क्षमता के निर्माण की जरूरत न रहे।

रिपोर्ट दर्शाती है कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 0.5 फीसदी से कम की कुल लागत पर मध्य-शताब्दी तक तकनीकी और आर्थिक रूप से वैश्विक रूप से कार्बन-मुक्त अर्थव्यवस्था संभव है, बशर्ते कि निम्नलिखित तीन कदम उठाए जाएं:

·       ऊर्जा दक्षता में नाटकीय सुधार और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में स्थानांतरण के जरिये विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में जीवन स्तर में सुधार करते हुए कम ऊर्जा का उपयोग करना;

·       आज की तुलना में पांच से छह गुना अधिक गति से सस्ती स्वच्छ ऊर्जा के बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता का निर्माण करके स्वच्छ ऊर्जा प्रावधान को बढ़ाना, साथ ही हाइड्रोजन जैसे अन्य शून्य-कार्बन वाले ऊर्जा स्रोतों का विस्तार करना;

·        इमारतों, परिवहन और उद्योग में कई अनुप्रयोगों को विद्युतीकृत करके और भारी उद्योग या लंबी दूरी की शिपिंग और विमानन जैसे जिन क्षेत्रों का विद्युतीकरण नहीं हो सकता, उनमें हाइड्रोजन, टिकाऊ बायोमास या कार्बन कैप्चर के उपयोग से नई तकनीकों और प्रक्रियाओं को लागू करके अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करना ।

भारत के पास जीरो-कार्बनपावर सिस्‍टम को सहयोग करने के लिए पर्याप्‍त अक्षय ऊर्जा संसाधन हैं जोकि 2050 में 6,000 टीडब्‍लूएच या अधिक की ऊर्जा प्रदान करेगा और इससे बिजली उपभोक्‍ताओं, रहन-सहन के स्‍तर और आर्थिक वृद्धि पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसका श्रेय भारत के सौर और पवन ऊर्जा की बढ़ती प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता को जाता है।  ईटीसी इंडिया द्वारा विस्‍तृत विश्‍लेषण  दर्शाता है कि पवन और सौर उत्‍पादन 2020 तक भारत के विद्युत उत्‍पादन को लगभग 32 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है और कुल लो/जीरो कार्बन बढ़कर 47 प्रतिशत रहेगा। यही नहीं, सिस्‍टम की कुल लागत, जिसमें आवश्‍यक भंडारण एवं लचीले संसाधनों की अनुमति मिलेगी, बहुत अधिक नहीं होगी, यदि नई कोयला क्षमता को इसके बजाय इंस्‍टॉल किया जाता है। परिणामस्‍वरूप, भारत बिजली आपूर्ति में तीव्र बढ़ोतरी प्रदान कर सकता है और इससे सिस्‍टम की कुल प्रतिस्‍पर्धी लागत पर समृद्धि बढ़ेगी। साथ ही जो कोयला संयंत्र फिलहाल निर्माणाधीन हैं, उनके अलावा किसी और कोयला संयंत्र का भी निर्माण नहीं करना होगा।

हालांकि हस्ताक्षरकर्ताओं ने यह मान लिया है कि यह रिपोर्ट ‘एक अप्रत्याशित संदर्भ’ में प्रकाशित हुई है। उनका मानना है कि कोविड-19 महामारी ने यह दिखाया है कि व्यवस्थित जोखिमों के खिलाफ वैश्विक अर्थव्यवस्था की तैयारियां कितनी कम थीं। आर्थिक स्थिति की मरम्मत के लिए अब जो व्यापक सार्वजनिक व्यय किया जा रहा है, उसमें ज्यादा लोचशील अर्थव्यवस्था में निवेश का खास अवसर छिपा हुआ है।

ईटीसी का अनुमान है कि उन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष एक से दो ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के अतिरिक्त निवेश की जरूरत होगी, जोकि वैश्विक जीडीपी का एक से डेढ़ प्रतिशत है। यह वैश्विक निवेश में थोड़ी- सी बढ़ोतरी का प्रतिनिधित्व करता है, जोकि फिलहाल वैश्विक जीडीपी का तकरीबन एक- चौथाई है और इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

ईटीसी के को-चेयर अडैर टर्नर ने कहा, ‘2050 तक हमें जिस जीरो-कार्बन वाली अर्थव्यवस्था तक पहुंचना है, वह तकनीकी और आर्थिक तौर पर संभव है। यहां शून्य का मतलब शून्य से है और यह कोई ऐसी योजना नहीं है, जो ग्रीन हाउस गैसों के सतत उत्सर्जन को संतुलित करने के लिए ‘ऑफसेट’ के स्थायी और व्यापक स्तर के उपयोग पर निर्भर करती हो। ’

फेलो ईटीसी को-चेयर अजय माथुर ने कहा, “कई अन्य देशों की तरह भारत में, जलवायु परिवर्तन पहले से ही लोगों को प्रभावित कर रहा है और अर्थव्यवस्था को बाधित कर रहा है। विकसित और विकासशील देशों की सरकारों को इस ब्लूप्रिंट में व्यावहारिक सिफारिशें मिलेंगी, ताकि वे अपनी राष्ट्रीय रणनीतियों को बढ़ा सकें और पेरिस समझौते के हिस्से के रूप में अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सकें। “

रिपोर्ट 2020 के दशक के लिए तीन महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं और व्यावहारिक कार्यों को रेखांकित करती है जिनके प्रति राष्ट्र और गैर-राज्य दल नवंबर 2021 में जलवायु परिवर्तन पर कॉप-26 संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के संपन्न होने तक अपनी प्रतिबद्धता दर्ज कर सकें,  ताकि इस सदी के मध्य तक वाले उद्देश्यों तक पहुंचा जा सके। 

1.    जीरो-कार्बन के प्रमाणित समाधानों को तेजी से तैनात करें – अर्थव्यवस्था के स्वच्छ विद्युतीकरण के लिए सरकारों, निवेशकों और कॉर्पोरेट्स को शून्य कार्बन बिजली उत्पादन की विशाल क्षमता के निर्माण के लिए पूरे सहयोग के साथ काम करने की आवश्यकता है।

2.    सही नीति और निवेश का माहौल बनाएं – जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को हटाकर, कार्बन की कीमतों में वृद्धि और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमति वाली कार्बन मूल्य की अनुपस्थिति में सीमा कार्बन समायोजन का संयोजन कर, नियमों को लागू करते हुए, जैसे विनिर्मित उत्पादों के लिए ईंधन अनिवार्यताएं या जीवन चक्र उत्सर्जन मानक, जोकि जहां मूल्य संकेत अपर्याप्त हैं, वहां डीकार्बोनाइजेशन के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन पैदा करते हैं। वित्तीय संस्थानों के साथ काम करके न केवल हरित गतिविधियों के लिए, बल्कि ऊर्जा-गहन उद्योगों को भी अपना ट्रांजिशन बनाते हुए यह किया जा सकता है।

3.    मुश्किल क्षेत्रों के लिए जीरो-कार्बन प्रौद्योगिकियों की अगली लहर लाएँ – ताकि उन्हें 2030 और 2040 के दशक में महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों (जैसे हाइड्रोजन, स्थायित्वपूर्ण ईंधन और कार्बन कैप्चर), नए हरे उत्पादों और सेवाओं (“ग्रीन खरीदारों के क्लब, सार्वजनिक खरीद और उत्पाद नियमों के माध्यम से) के लिए मांग पैदा करने, और निजी पूंजी के साथ डी-रिस्किंग सार्वजनिक निधियों के स्मार्ट उपयोग के माध्यम से पहले वाणिज्यिक पैमाने के पायलटों का वित्तपोषण करने जैसे विषयों पर सार्वजनिक और निजी अनुसंधान एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करके तैनात किया जा सके।

ईटीसी का ब्लूप्रिंट सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं को 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन तक पहुंचने की अनुमति देने का इरादा रखता है, जिसमें चीन भी शामिल है, जिसके पास 2050 तक एक समृद्ध व विकसित शून्य कार्बन अर्थव्यवस्था बनने के लिए जरूरी सभी संसाधन और प्रौद्योगिकी है। सभी विकासशील राष्ट्र कम से कम 2060 तक नेट जीरो उत्सर्जन पहुंचने में सक्षम होंगे। 2060 तक नेट जीरो उत्सर्जन तक पहुंचते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें कम जोखिम वाले विकास ओर निजी हरित निवेश को आकर्षित करने के लिए वित्त की आवश्यकता होगी।

रिपोर्ट ईटीसी के 2018 मिशन पॉसिबल रिपोर्ट और बाद के क्षेत्र-विशिष्ट अध्ययनों से निष्कर्षों को एकीकृत करती है, जो कि प्रमुख उत्सर्जन कम करने वाली प्रौद्योगिकियों की तत्परता और लागत में नवीनतम रुझानों को प्रतिबिंबित करने के लिए अद्यतन विश्लेषण के साथ है।

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए ईटीसी की वेबसाइट www.energy-transitions.org पर जाएं

ईटीसी कमिश्नर्स: श्री मार्को एलवेरा, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- एसएनएएम, श्री थॉमस थुन एंडरसन, बोर्ड के चेयरमैन – ऑर्सटेड, श्री ब्रायन अरान्हा, एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेन्टः हेड ऑफ स्ट्रैटजी, सीटीओ, आर एंड डी, सीसीएम, ग्लोबल ऑटोमोटिव, कम्युनिकेशंस एंड कॉर्पोरेट रिस्पॉन्सिबिलिटी- आर्सेलर मित्तल, लॉर्ड ग्रेगरी बार्कर, एक्जीक्यूटिव चेयरमैन- ईएन+, श्री पिएरे-आंद्रे डे चालेंडर, चेयरमैन और चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- सैन्ट गोबैन, सुश्री मैरिसा ड्रू, चीफ सस्टैनेबिलिटी ऑफिसर और ग्लोबल हेड सस्टैनेबिलिटी स्ट्रैटजी, एडवाइजरी एवं फाइनेंस- क्रेडिट सुइस, श्री डोमिनिक एमेरी, चीफ ऑफ स्टाफ- बीपी, श्री स्टीफेन फिट्ज़पैट्रिक, फाउंडर- ओवो एनर्जी, श्री विल गार्डीनर, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर-डीआरएएक्स, श्री जॉन हॉलैण्ड-काये, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- हीथ्रो एयरपोर्ट, श्री चाड हॉलिडे, चेयरमैन- रॉयल डच शेल, श्री टिमोथी जैराट, चीफ ऑफ स्टाफ- नेशनल ग्रिड, श्री हुबर्ट केलर, मैनेजिंग पार्टनर- लोम्बार्ड ओडियर, सुश्री ज़ो नाइट, एचएसबीसी सेंटर ऑफ सस्टैनेबल फाइनेंस- एचएसबीसी की मैनेजिंग डायरेक्टर और ग्रुप हेड, श्री जुल्स कोर्टनहॉर्स्‍ट, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- रॉकी माउंटेन इंस्टिट्यूट, श्री मार्क लाब्स, मैनेजिंग डायरेक्टर- मॉडर्न एनर्जी, श्री रिचर्ड लैनसास्टर, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- सीएलपी, श्री लि झेंग, एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेन्ट- इंस्टिट्यूट ऑफ क्लाइमेट चेंज एंड सस्टैनेबल डेवलपमेन्ट, सिंघुआ यूनिवर्सिटी, श्री मार्टिन लिंडक्विस्ट, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- एसएसएबी, श्री ऑके लोंट, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर और प्रेसिडेन्ट- स्टेटनेट, श्री जोहान लंडेन, एसवीपी हेड ऑफ प्रोजेक्ट एंड प्रोडक्ट स्‍ट्रैटजी ऑफिस- वोल्वो, डॉ. अजय माथुर, डायरेक्टर जनरल- द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट; को-चेयर- एनर्जी ट्रांजिशंस कमिशन, डॉ. मारिया मेंडिलुस, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- वी मीन बिजनेस, श्री जोन मूरे, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- ब्लूमबर्गएनईएफ, श्री जूलियन मिलक्रीस्ट, मैनेजिंग डायरेक्टर, ग्लोबल को-हेड ऑफ नैचुरल रिसोर्सेस (एनर्जी, पावर, माइनिंग)- बैंक ऑफ अमेरिकासु, श्री डैमिलोला ओगुनबियी, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- सस्टैनेबल एनर्जी फॉर ऑल, सुश्री नंदिता प्रसाद, मैनेजिंग डायरेक्टर, सस्टैनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रुप- ईबीआरडी, श्री एंड्रियाज रेगनेल, सीनियर वाइस प्रेसिडेन्ट स्ट्रैटजिक डेवलपमेन्ट- वैटनफाल, श्री कार्लोस साल्ले, सीनियर वाइस प्रेसिडेन्ट ऑफ एनर्जी पॉलिसीज एंड क्लाइमेट चेंज- इबरड्रोला, श्री इयान सिम, फाउंडर और चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- इम्पैक्स, श्री महेन्द्र सिंघी, मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड, डॉ. एंड्रू स्टीर, प्रेसिडेन्ट और चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- वर्ल्‍ड रिसोर्सेस इंस्टिट्यूट, लॉर्ड निकोलस स्टेर्न, आईजी पटेल प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स एंड गवर्नमेन्ट- ग्रांथम इंस्टिट्यूट- एलएसई, डॉ. गुंथर थालिंगर, मेंबर ऑफ द बोर्ड ऑफ मैनेजमेन्ट- एलायंज, श्री सिमोन थॉम्पसन, चेयरमैन- रियो टिंटो, डॉ. रॉबर्ट ट्रेज़ोना, हेड ऑफ क्लीनटेक- आईपी ग्रुप, श्री जीन-पास्कल ट्रिकोइरे, चेयरमैन और चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- श्‍नाइडर इलेक्ट्रिक, सुश्री लॉरेन्स टुबियाना, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- यूरोपीयन क्लाइमेट फाउंडेशन, लॉर्ड अडैर टर्नर, को-चेयर- एनर्जी ट्रांजिशंस कमिशन, श्री हुआंग वेनशेंग, चेयरमैन ऑफ द बोर्ड- सिनोपेक कैपिटल

सीनेटर टिमोथी ई. विर्थ, प्रेसिडेन्ट एमेरिटस- यूनाइटेड नेशंस फाउंडेशनश्री झांग ली, चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर- एनविजन ग्रुप, डॉ. झाओ चैंगवेन- डायरेक्टर जनरल इंडस्ट्रीयल इकोनॉमी- डेवलपमेन्ट रिसर्च सेंटर ऑफ द स्टेट काउंसिल, सुश्री कैथी ज़ोई, प्रेसिडेन्ट- ईवीगो एनर्जी ट्रांजिशंस कमिशन के विषय में

एनर्जी ट्रांजिशंस कमिशन (ईटीसी) वर्तमान सदी के मध्य तक नेट जीरो एमिशन को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध ऊर्जा परिदृश्य के नेताओं का एक वैश्विक गठबंधन है, जो ग्लोबल वार्मिंग को 2° C से नीचे और आदर्श रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के पेरिस जलवायु उद्देश्य के अनुरूप है। । हमारे आयुक्त जिन संगठनों की श्रेणी से आते हैं, उनमें ऊर्जा उत्पादक, ऊर्जा-गहन उद्योग, प्रौद्योगिकी प्रदाता, वित्तीय क्षेत्र के दिग्गज और पर्यावरण एनजीओ शामिल हैं, जो विकसित और विकासशील देशों में काम करते हैं और एनर्जी ट्रांजिशन में विभिन्न भूमिका निभाते हैं। दृष्टिकोण की यह विविधता हमारे काम को सूचित करती है। हमारे विश्लेषण विशेषज्ञों और प्रैक्टिशनर्स के साथ व्यापक आदान-प्रदान के जरिये एक व्यवस्थागत परिप्रेक्ष्य के साथ विकसित किए जाते हैं।

कमिश्‍नर्स द्वारा मेकिंग मिशन पॉसिबिल रिपोर्ट का विकास सिस्टमआईक्यू द्वारा उपलब्ध कराए गए ईटीसी सचिवालय के समर्थन से किया गया है। यह ईटीसी के पूर्व प्रकाशनों को साथ लाते हुए, कंपनियों के सैकड़ों विशेषज्ञों, पहलों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और गैर-सरकारी संगठनों व शिक्षाविदों के नजदीकी परामर्श से काम करता है।

रिपोर्ट में जलवायु नीति पहल, कोपेनहेगन अर्थशास्त्र, मैटेरियल अर्थशास्त्र, मैकिंसे एंड कंपनी, रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट, द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी मैरीटाइम एडवाइजरी सर्विसेज, विविड इकोनॉमिक्स एंड सिस्टमआईक्यूक्यू और ईटीसी द्वारा किए गए विश्लेषणों के साथ व्यापक साहित्य समीक्षा पर ध्यान दिया गया  है। हम विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी और ब्लूमबर्गएनईएफ से विश्लेषण का संदर्भ देते हैं।

इस रिपोर्ट में एनर्जी ट्रांजिशंस कमिशन का एक सामूहिक दृष्टिकोण है। ईटीसी के सदस्य इस रिपोर्ट में किए गए तर्कों के सामान्य उद्देश्य का समर्थन करते हैं लेकिन इसे हर खोज या सिफारिश से सहमत होना नहीं होना माना जाना चाहिए। जिन संस्थानों के साथ आयुक्त संबद्ध हैं, उन्हें औपचारिक रूप से रिपोर्ट का समर्थन करने के लिए नहीं कहा गया है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया ईटीसी की वेबसाइट www.energy-transitions.org पर जाएं

 
हमारे कमिश्‍नर्स की टिप्पणियां :
 

डोमिनिक एमिरी, चीफ ऑफ स्टाफ- बीपी

“ईटीसी की यह नई रिपोर्ट बताती है कि 2050 तक नेट जीरो अर्थव्यवस्था में बदलाव तकनीकी रूप से संभव और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि समाज महामारी के बाद बेहतर वापसी करना चाहते हैं। शून्य कार्बन भविष्य के लिए ऊर्जा प्रणाली को फिर से तैयार करना इस बदलाव के लगभग हर पहलू के लिए केंद्रीय महत्व का बिंदु है। यही वजह है कि बीपी पर हम अपने व्यापार को बदल रहे हैं, जिसका उद्देश्य अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 2030 तक 20 गुना बढ़ाना और तेल और गैस उत्पादन को अगले दशक में 40 फीसदी से कम करना है। यदि समाज को विज्ञान द्वारा अपेक्षित गति से ट्रांजीशन के दौर से गुजरना है, तो नीतिगत नेतृत्व से मेल खाती कॉर्पोरेट कार्रवाई महत्वपूर्ण होगी।”

 
जॉन हॉलैंड –काये, चीफ एक्‍जीक्‍यूटिव ऑफीसर – हीथ्रो

“जलवायु संकट से निपटने में कार्बन हमारा साझा दुश्मन है। ऐसे समय में जब हम अपनी गतिशीलता की राह में आने वाली बाधाओं के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं, यह उत्साहजनक है कि हम एक साथ काम कर रहे हैं ताकि डिकार्बनाइजिंग एविएशन को वास्तविकता बनाया जा सके। हम स्थायी विमानन ईंधन के विकास का तत्काल समर्थन करते हैं । यह हमारे उद्योग को नेट जीरो-कार्बन के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा। अब विचारों को कार्रवाई में बदलने और कार्बन रहित दुनिया में विमानन के लाभों को संरक्षित करने का समय है, ताकि आने वाली पीढ़ियां उन चीजों का आनंद ले सकें जो फिलहाल हमारे पास हैं ”।

इयान सिम, संस्थापक और चीफ एक्‍जीक्‍यूटिव ऑफीसर – इम्पैक्स इन्‍वेस्‍टमेंट

“जैसा कि यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है, विकसित दुनिया में 2050 तक नेट जीरो कार्बन वाली अर्थव्यवस्था प्राप्त करना संभव है, लेकिन इसके लिए स्वच्छ ऊर्जा में महत्वपूर्ण और लक्षित निवेश की आवश्यकता होगी। ‘मेकिंग मिशन पॉसिबिल‘ इस बात पर प्रकाश डालता है कि एक सफल ऊर्जा परिवर्तन से निवेश समुदाय को क्या लाभ होगा। लेकिन ऐसा करने के लिए, हमें गति और पैमाने के मामले में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।”

थॉमस थुन एंडरसन, बोर्ड के चैयरमैन – ऑर्सटेड

“अक्षय ऊर्जा 2050 तक नेट जीरो अर्थव्यवस्था देने के लिए बुनियादी जरूरत है। ईटीसी रिपोर्ट एक ग्रीन अर्थव्यवस्था के लिए एक खाका प्रदान करती है और वैश्विक नेताओं से अगले दशक में कार्रवाई करने का आह्वान करती है। आज, हर किसी को एक ऐसी दुनिया बनाने में मदद करने की जरूरत है जो पूरी तरह से हरित ऊर्जा पर चलती हो ।” ends

Be the first to comment on "ग्‍लोबल एनर्जी, इंडस्‍ट्री एवं फाइनेंशियल लीडर्स ने नेट-जीरो कार्बन इकोनॉमी के लिए अगले दशक की प्राथमिकताओं को तय किया, एक वर्ष पहले एनर्जी ट्रांजिशंस कमिशन की नई रिपोर्ट कॉप26 में 2030 तक इस दिशा में जरूरी कदम उठाने पर जोर दिया गया है, ताकि इस सदी के मध्य तक जीरो-कार्बन अर्थव्यवस्था को हासिल किया जा सके"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*