रॉयल स्‍टैग बैरल सिलेक्‍ट लार्ज शॉर्ट फिल्‍म्‍स पेश करते हैं ‘विकल्‍प’, जिसमें है आकांक्षाओं और आत्‍मसम्‍मान के द्वंद्व का चित्रण और नेहा शर्मा एवं अंशुल चौहान का अभिनय

निर्माता और निर्देशक, धीरज जिंदल छोटे शहर की एक लड़की की कहानी लेकर आये हैं, जो अपने कार्यस्थल पर पीडादायक अनुभव सहन करती है और अब उसे एक बड़ा फैसला करना है, जो उसकी किस्‍मत को तय करेगा

नई दिल्‍ली, 26 अगस्‍त, 2021 (GNI): रॉयल स्‍टैग बैरल सिलेक्‍ट लार्ज शॉर्ट फिल्‍म्‍स पेश करते हैं ‘विकल्‍प’, जिसका निर्देशन धीरज जिंदल ने किया है। इसमें समीक्षकों की सराहना पा चुके एक्‍टर्स नेहा शर्मा और अंशुल चौहान की मुख्‍य भूमिका है। इसकी कहानी एक छोटे शहर की लड़की शिवानी की जिन्‍दगी पाकर आधारित है, जो अपने पेरेंट्स के साथ बहुत विचार-विमर्श के बाद एक मेट्रो शहर में अपना मुकाम हासिल करने का फैसला लेती है। हालाँकि, अपने कार्यस्थल पर घटित अप्रत्याशित और दुखदायी घटना उसकी दुनिया को झकझोर देती है। अब उसे अपने लिये एक निर्णायक फैसला करना ही होगा कि वह काम छोड़कर अपने परिवार के पास लौट जाए या पूरी घटना को भूल जाए और उस जिन्‍दगी को जीये, जो उसने कठिनाई से हासिल की है।

कार्यस्थल पर होने वाले शोषण के गंभीर मुद्दे पर आधारित इस दमदार कहानी में निर्देशक ने बड़े प्रभावी तरीके से उस कष्‍ट को दिखाया है, जिससे शिवानी (नेहा शर्मा) गुजरती है। उसकी आकांक्षाएँ न्‍याय पाने में रूकावट बन जाती हैं। कहानी कहने की मार्मिक कला और भी जोर पकड़ लेती है, जब अंशुल चौहान द्वारा अभिनित शिवानी का दोस्‍त उसे अतीत के दुखों की याद दिलाता है और सही कदम उठाने का आग्रह करता है। शिवानी को अपनी किस्‍मत पर सोचता देखकर दर्शक पलकें झपकाना भूल जाएंगे।

‘विकल्‍प’ के बारे में नेहा शर्मा ने कहा कि, “दुनिया भर में महिलाओं से वर्कप्‍लेस पर यौन-शोषण और दुराचार होता है। यह बात आम होती जा रही है और ऐसी कई घटनाओं की सूचना भी नहीं दी जाती। इनमें से ज्‍यादातर महिलाएँ उसी दुविधा में होती हैं, जो इस मूवी में शिवानी की है। यह कि घटना की सूचना दें और नौकरी जाने के जोखिम के साथ दुखी करने वाले ट्रायल से गुजरें या चुप रहें और जिन्‍दगी आम तरीके से ही जीते रहें। कभी-कभी महिलाओं को अहसास कराया जाता है कि उनकी पूरी जिन्‍दगी के कार्य और आकांक्षाएँ दाँव पर हैं और यह कीमत उनके लिये बहुत बड़ी हो जाती है। यह मूवी बिलकुल परफेक्‍ट तरीके से दिखाती है कि वर्कप्‍लेस पर कितना शोषण होता है और उसकी जानकारी भी नहीं दी जाती है, क्‍योंकि अविश्‍वास, आरोप या सामाजिक या पेशागत नतीजों का डर रहता है। आखिर में महिला द्वारा अपने लिये कोई फैसला करना कभी आसान नहीं होता है।”

इस मूवी के बारे में आगे बताते हुए, डायरेक्‍टर धीरज जिंदल ने कहा कि, “महिलाएँ अनचाहे और अस्वीकार्य व्‍यवहार के विरूद्ध आवाज उठा रही हैं, लेकिन वह आवाज उनकी सफलता में रोड़ा बन जाती है। मुझे लगता है कि इस मुद्दे पर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है और बहुत कुछ अब भी अनकहा है। यह तो सिद्ध है कि ऐसे शोषण अक्‍सर तनाव का कारण बनते हैं। यह कहानी मेरी दो दोस्‍तों के अनुभव से मिली है, जो ऐसी ही स्थिति से गुजरी थीं। और मुझे यकीन है कि ऐसी केवल दो नहीं, बल्कि कई महिलाएँ हैं, जो कोई भी फैसला करें, हार उनकी ही होगी। इस फिल्‍म से मैंने यह बताने की कोशिश की है कि अगर कोई महिला ऐसी स्थिति में पड़ जाए कि कोई भी फैसला करने पर उसकी हार ही होगी, तो इसमें उस महिला की गलती नहीं है। यह रॉयल स्‍टैग बैरल सिलेक्‍ट लार्ज शॉर्ट फिल्‍म्‍स के साथ बतौर डायरेक्‍टर मेरी दूसरी फिल्‍म है और मुझे लगता है कि ऐसे प्‍लेटफॉर्म जरूरी हैं, ताकि डायरेक्‍टर अपनी रचनात्‍मकता दिखा सकें।”

यह मूवी का प्रथम प्रदर्शन ख़ास तौर पर सबसे पहले रॉयल स्‍टैग बैरल सिलेक्‍ट्स लार्ज शॉर्ट फिल्‍म्‍स के यूट्यूब चैनल https://www.youtube.com/user/LargeShortFilms/videos होगा। यह प्‍लेटफॉर्म भारत के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में से कुछ की ओरिजिनल और प्रेरक शॉर्ट फिल्‍म्‍स देखने के लिये है।

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