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महिंद्रा ‘गुड बिझनेस’ स्‍टडी ने भारत में ‘गुड बिझनेस’ की बदलती सोच का खुलासा किया

मुंबई, November 18, 2020 (GNI): महिंद्रा ग्रुप ने ‘महिंद्रा Good Business स्‍टडी’ के निष्‍कर्षों को आज प्रकाशित किया। इस अध्‍ययन में ‘Good Business’ के असली अर्थ को लेकर लोगों की बदलती परिभाषा को रेखांकित किया गया है। इस अध्‍ययन में दस टायर 1 और टायर 2 शहरों के 2,000 से अधिक प्रतिक्रियादाता शामिल रहे और इसका उद्देश्‍य ‘Good Business’ के बारे में उनकी वास्‍तविक सोच को समझना और यह जानना था कि किस तरह से यह भावी उपभोक्‍ताओं, निवेशकों और कर्मचारियों के रूप में उनकी अपेक्षाओं व निर्णय-प्रक्रिया को प्रभावित करती है।

महिंद्रा ग्रुप की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्‍य में कराये गये इस अध्‍ययन में विशेष रूप से इस परिवर्तनकारी कोविड काल में ‘Good Business’ को लेकर लोगों के विचारों के बारे में रोचक अतर्दृष्टियों का खुलासा हुआ। इस अध्‍ययन से ‘Good Business’ का एक गहन व्‍यक्तिगत दृष्टिकोण होने का पता चला, जो व्‍यक्तिगत मूल्‍यों एवं जीवन के अनुभवों पर आधारित है। इसे समझना अब प्रतिष्‍ठा की बात नहीं रहा – बल्कि यह एक प्रमुख व्‍यावसायिक मुद्दा बन चुका है।

महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन, आनंद महिंद्रा के अनुसार, ”’Good Business’ की व्‍यापक भूमिका, उद्देश्य और आशय आज से अधिक प्रासंगिक कभी भी नहीं रहा है। कंपनी के सामाजिक और सामुदायिक प्रभाव को लेकर उतनी ही खुलकर और बार-बार चर्चा हो रही है जितनी इसके बैलेंस शीट को लेकर होती है; यह चर्चा जितने अधिक लोगों द्वारा हो रही है उतनी इससे पहले कभी नहीं हुई थी। मेरा दृढ़ विश्‍वास है कि ग्राहकों, शेयरधारकों, कर्मचारियों या समाज के अन्‍य लोगों की ये व्‍यापक, अधिक समावेशी अपेक्षाएं पूर्णत: कंपैटिबल हो सकती हैं। आज बिजनेस लीडर्स की प्रमुख भूमिका परस्‍पर लाभदायक, सामान्‍य आधार तलाशने की है – और मेरे लिए, Good Business का यही सार है। कॉर्पोरेट से जुड़ी हमारी एक-एक उपलब्धि अधिक मानवीय महत्‍व से जुड़ी है; वो चाहे वास्‍तविक समावेशी कार्य-स्‍थल का निर्माण हो या पर्यावरण पर कम से कम प्रभाव डालने की बात; वो चाहे हमारे समुदायों के साथ गहरा जुड़ाव हो या हमारे सभी कर्मचारियों के लिए प्रयोग की स्‍वतंत्रता (और यहां तक कि विफलता भी)। इसलिए, हमारी 75वीं वर्षगांठ, मेरी समझ से इस दशक के सबसे महत्‍वपूर्ण विषय पर चर्चा में भाग लेने का एक उपयुक्‍त अवसर है।”

निष्‍कर्षों से पता चलता है कि आज ‘Good Business’ का संबंध ‘नैतिक मानकों’, ‘समुदाय की देखभाल’, और ‘समावेशिता’ के साथ-साथ परंपरागत व्‍यावसायिक मात्रकों जैसे कि ‘वित्‍तीय प्रदर्शन’, ‘बाजार अग्रगण्‍यता’, ‘लाभदेयता’ या ‘विकास’ से है

 62% प्रतिक्रियादाताओं का मानना है कि ‘Good Business’ केवल वित्तीय रिटर्न ही नहीं है, 14 प्रतिशत प्रतिक्रियादाताओं ने इसे पर्यावरण के प्रति सोच और समुदायों के प्रति वचनबद्धताओं (सीएसआर) के साथ जोड़कर देखा।
 भारत के 18 से 25 वर्ष के बीच की उम्र के 45 प्रतिशत से अधिक युवा, महज लाभ के बजाये नैतिक मानकों, समुदाय के प्रति जिम्‍मेदारी और समावेशी सोच को प्राथमिकता देते हैं। इसके विपरीत, 46 वर्ष से अधिक उम्र के प्रतिक्रियादाताओं (48 प्रतिशत) ने ‘ट्रांजेक्‍शनल एवं लाभदेयता’ मात्रकों जैसे कि लाभदेयता, विकास और बाजार अग्रगण्‍यता को अधिक महत्‍व दिया।
 दिलचस्‍प बात यह है कि टायर 2 के शहरों के 46% प्रतिक्रियादाताओं ने ‘Good Business’ के लिए ‘समुदाय के प्रति जिम्‍मेदारी (15%)’, ‘नैतिक मानकों (20%)’ और ‘समावेशिता (9%)’ को प्राथमिकता दी, जबकि टायर 1 शहरों के 47% प्रतिक्रियादाताओं ने Good Business को व्‍यावसायिक मात्रकों जैसे कि ‘वित्‍तीय प्रदर्शन’, ‘बाजार में अग्रणी स्थिति’, ‘लाभदेयता’ या ‘विकास’ से जुड़ा हुआ बताया।

यहां तक कि कर्मचारियों को भी ऐसे ‘अच्‍छे नियोक्‍ताओं’ की ही तलाश होती है जो वेतन और भत्‍ते के अलावा अन्‍य कारकों पर भी ध्‍यान दें, जैसे सामुदायिक पहलें, लचीला कार्य समय, पर्यावरण संरक्षण और विविधतापूर्ण कार्यबल। लैंगिक दृष्टि से भी, कुछ अंतर देखने को मिले। कुछ रोचक निष्‍कर्ष निम्‍नवत हैं –

रोजगार के दृष्टिकोण से, उत्तरदाताओं में से लगभग आधे (49%) ने ‘Good Business’ के चुनाव में तीन प्रमुख बातों – वेतन और कर्मचारी लाभ, कैरियर और प्रगति संभावना और जलवायु परिवर्तन नीतियों और पर्यावरण प्रतिबद्धताओं को ध्‍यान में रखा।
 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने हमेशा एक ऐसी कंपनी के लिए काम करने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया होता यदि वो उन्‍हें ‘अच्छी’ नहीं लगी होती।
 जबकि लगभग समान अनुपात में, 34% प्रतिक्रियादाताओं का दावा है कि उन्‍होंने भविष्‍य में नयी नौकरी के चुनाव में समुदाय से जुड़े ‘अच्‍छे’ कारकों जैसे अच्‍छी पर्यावरणीय नीतियों, समावेशिता और नैतिकता, और सीएसआर कार्यक्रमों को शीर्ष प्राथमिकता दी।
 इसके अलावा, 81% महिलाओं ने नौकरी के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया होता यदि वो उन्‍हें ‘अच्‍छा’ नहीं लगता, जबकि 74% पुरुषों ने इस बात के प्रति सहमति जतायी।

सामान्‍य भारतीय उपभोक्ता की प्रोफ़ाइल बदलाव के दौर से गुजर रही है। उनके दृष्टिकोण में, वो मूल्य और उत्पाद का धरती और धारणा के साथ संतुलन स्‍थापित करते हुए अपना खरीद निर्णय लेते हैं। निष्कर्षों से पता चलता है कि ‘Good Business’ के प्रति उपभोक्ताओं की धारणा तेजी से बदल रही है जिसका अर्थ है कि अब वो कोई भी उत्‍पाद खरीदते समय केवल उत्‍पाद और कीमत को ही पर्याप्‍त नहीं मानते हैं:
 60% लोगों का मानना है कि किसी भी कंपनी का कोई उत्‍पाद या उसकी कोई सेवा खरीदते समय,वो कंपनी की ‘अच्‍छाई’ को महत्‍वपूर्ण या मौलिक रूप से ध्‍यान देते हैं।
 20% लोग, कोई भी उत्‍पाद या सेवा खरीदते समय कीमत और उत्‍पाद पर महत्‍वपूर्ण रूप से ध्‍यान देते हैं और वो प्रतिस्‍पर्द्धी कीमत की अपेक्षा रखते हैं।
 27% लोग खरीदारी करने से पहले ब्रांड की प्रतिष्ठा पर विचार करते हैं, और उसके बाद ब्रांड के मार्केट लीडरशिप या उत्‍पाद की कीमत पर ध्‍यान देते हैं।
 14% लोग, उत्‍पाद/सेवा का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के आधार पर ‘अच्छे’ सौदे का निर्धारण करते हैं।
 14% लोग, व्‍यापक रूप से समाज के प्रति ब्रांड के योगदान को समान रूप से महत्‍व देते हैं।

 टियर 1 शहर के 31% उत्तरदाता कोई उत्पाद खरीदने से पहले प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण और बाजार नेतृत्व पर विचार करते हैं, जबकि टीयर 2 के 34% उत्तरदाता, उत्‍पाद खरीदने से पहले उसकी गुणवत्‍ता पर विचार करते हैं।
 39% महिला उत्तरदाता मुख्य रूप से उत्पाद की गुणवत्ता (सुविधाओं, क्रियात्‍मकता और पर्यावरणीय प्रभाव) पर विचार करती हैं, जबकि 24% पुरुष उत्तरदाता ऐसा करते हैं, और
 22% महिला उत्तरदाताओं की तुलना में, उनके 34% पुरुष समकक्ष, उत्पाद खरीदने से पहले मुख्य रूप से प्रतिस्पर्धी मूल्य और बाजार नेतृत्व पर विचार करते हैं।

निवेश के दृष्टिकोण से, वित्तीय रिटर्न पर प्रमुख रूप से ध्‍यान दिया जाता है, लेकिन यह अब कई निवेशकों के लिए पर्याप्त नहीं भी हो सकता है:
 अधिकांश उत्तरदाता (70%) कभी भी ऐसे व्यवसाय में निवेश नहीं करते, यदि उन्‍हें वो वास्तव में ’अच्छा व्यवसाय’ नहीं लगा होता।
 20% प्रतिक्रियादाता किसी भी व्‍यवसाय के वास्‍तविक अर्थों में ‘अच्‍छा’ होने के मार्ग में ‘नेतृत्‍व और सोच के अभाव’ को बाधक मानते हैं।

महिंद्रा Good Business अध्‍ययन विधिउपरोक्‍त निष्‍कर्ष, इनोवेटिव रिसर्च सर्विसेज (इंडिया) प्रा. लि. के शोध कार्य पर आधारित हैं। इसके लिए इनोवेटिव रिसर्च द्वारा 10 महानगरों के 2,089 प्रतिक्रियादाताओं का टेलीफोन के जरिए इंटरव्‍यू लिया गया। इन 10 महानगरों में से, छ: टायर 1 शहर हैं, जिनमें दिल्‍ली, मुंबई, बेंगलुरू, चेन्‍नई, अहमदाबाद और हैदराबाद शामिल हैं, जबकि चार टायर 2 शहर हैं जिनमें कोयम्‍बतूर, चंडीगढ़, जयपुर और लखनऊ शामिल हैं। प्रतिक्रियादाताओं ने उपरोक्‍त शहरों के 18-65 वर्ष की आयु वाले लोगों का प्रतिनिधित्‍व किया; प्रतिक्रिया विभिन्‍न व्‍यवसायों और पेशेवर क्षेत्रों से जुड़े थे। ends

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