ब्‍लू बेबी से प्रभावित इराकी शिशु कोविड की चुनौती के बीच सरहदें लांघते हुए इलाज के लिए मुंबई पहुंचा ~ कोकिलाबेन धीरूभाई अम्‍बानी हॉस्पिटल, मुंबई में नवजात शिशु के जटिल जन्‍मजात हृदय रोग के उपचार हेतु सफलतापूर्वक सर्जरी की गई ~

मुंबई, 19 अक्‍टूबर, 2020 (GNI): जटिल जन्‍मजात हृदय रोग से प्रभावित इराकी शिशु सरहदें लांघते हुए इलाज के लिए मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अम्‍बानी हॉस्पिटल पहुंचा, जहां उसकी सफल हार्ट सर्जरी की गयी। महीने भर के इस शिशु को जन्‍म के साथ ही डी-टीजीए या डेक्‍सट्रो-ट्रांसपोर्टेशन ऑफ द ग्रेट आर्टरीज की समस्‍या थी। कोकिलाबेन धीरूभाई अम्‍बानी हॉस्पिटल के चिल्‍ड्रेंस हार्ट सेंटर के निदेशक, डॉ. सुरेश राव की देखरेख में विशेषीकृत पेडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी टीम ने डी-टीजीए का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया। डी-टीजीए में, दो प्रमुख धमनियां – बायीं धमनी और फुफ्फुस धमनी अपनी सामान्‍य स्थितियों में नहीं होतीं और इस दोष को ठीक करने के लिए, एट्रियल सेप्‍टल डिफेक्‍ट (हृदय की भित्ति में छिद्र) को बंद करने के लिए आर्टेरियल स्विच ऑपरेशन किया गया। शिशु की स्थिति में अच्‍छी तरह से सुधार हुआ है और उसके मां-बाप अपने स्‍वस्‍थ शिशु के साथ खुशी-खुशी वापस घर लौटने की प्रतीक्षा में हैं।

डॉ. सुरेश राव ने कहा, ”बच्‍चे को जन्‍म से ब्‍लू बेबी की समस्‍या थी, रिपोर्ट्स से पता चला कि उसे अत्यंत जटिल हृदय रोग है। सरल तरीके से कहें, तो शिशु के शरीर में रक्‍त की आपूर्ति उल्‍टी हो गयी थी, और शीघ्र करेक्टिव सर्जरी के बिना, यह समस्‍या – जो जीवित जन्‍मे 5000 बच्‍चों में से लगभग 1 में पायी जाती है, जानलेवा हो सकती थी। भारत में, नवजातों और शिशुओं में इस तरह की सर्जरी सामान्‍य है और यह जन्‍म से 2 दिनों से लेकर 2 हफ्ते के भीतर की जाती है। हालांकि, इराक में सर्जिकल दक्षता उपलब्‍ध न होने के चलते, शिशु के पिता के एक भारतीय दोस्‍त ने उन्‍हें शिशु को कोकिलाबेन हॉस्पिटल में लाने की सलाह दी।”
डॉ. सुरेश राव को रिपोर्ट्स भेजे गये और चीफ पेडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्‍ट, डॉ. स्‍नेहल कुलकर्णी के साथ समीक्षा के बाद, परिवार को बताया गया कि शिशु का जल्‍द-से-जल्‍द ऑपरेशन करना होगा। लेकिन कुछ चुनौतियों को दूर किया जाना जरूरी था। अप्रत्‍याशित स्थिति और कोविड महामारी के चलते अंतर्राष्‍ट्रीय उड़ानों के न होने के चलते, भारत आना कठिन था। नवजात शिशु का पासपोर्ट नहीं था, जो कि मेडिकल वीजा के लिए जरूरी था। भारतीय दूतावास ने सहानुभूति के आधार पर वीजा की व्‍यवस्‍था की और परिवार तुरंत भारत में उपचार कराने के लिए चल पड़ा।

डॉ. राव ने आगे बताया, ”देरी होने पर धमनियों का सामान्‍य स्थिति में रहना संभव नहीं था, जिससे सर्जरी के बाद भी हृदय, रक्‍त-परिसंचरण में सहायता नहीं कर पाता। बच्‍चे का भाग्‍य अच्‍छा था कि इराक के स्‍थानीय अस्‍पताल में उसका बीएएस (बैलून एट्रियल सेप्‍टोस्‍टोमी) नामक प्राथमिक प्रॉसिजर हो सका। इससे ऑक्‍सीजन के स्‍तर में वृद्धि हुई और इससे बच्‍चे को फ्लाइट से भारत आने में मदद मिली।”

नया पासपोर्ट लेना, स्‍थानीय भारतीय दूतावास से मेडिकल वीजा प्राप्‍त करना और भारत आने वाली फ्लाइट में सीट मिलने जैसी कुछ बड़ी चुनौतियां थीं, लेकिन अपने बच्‍चे का उपचार कराने की परिवार की दृढ़-इच्‍छाशक्ति के सामने ये सारी बाधाएं टिक नहीं पायीं और वो बच्‍चे के साथ 24 सितंबर 2020 को मुंबई पहुंचे। मुंबई पहुंचने के बाद घटना में एक और मोड़ आ गया। शिशु की मां को कोरोना पॉजिटिव पाया गया और उन्‍हें क्‍वारंटीन करना पड़ा। सौभाग्‍यवश, शिशु और उसके पिता की रिपोर्ट निगेटिव आयी। हालांकि, पिता को भी आइसोलेट कर दिया गया और शिशु को डॉक्‍टर्स की निगरानी में आईसीयू में भर्ती किया गया; इन सभी कठिनाइयों के चलते ऑपरेशन में हफ्ते भर की और देरी हुई।

डॉ. राव ने प्रॉसिजर के बारे में बताया, ”देरी होने के चलते, बायें वेंट्रिकल में कुछ रीग्रेशन था और इसकी भित्ति पतली हो रही थी, जिससे सर्जरी के बाद और लंबे समय तक आईसीयू में रखे जाने के चलते बच्‍चे के लिए जटिलताओं का अधिक खतरा बढ़ गया। हमने फैसला किया कि अब और इंतजार नहीं करेंगे। सभी सावधानियां बरतते हुए और पूरी तैयारी के साथ, हमने 30 सितंबर को करेक्टिव सर्जरी की। धमनियों को वापस उनकी सामान्‍य स्थिति में किया गया। पेचीदगी यह थी कि हार्ट की कोरोनरी आर्टरी को भी सही आर्टरी से कनेक्‍ट करना था। शुरू के 48 घंटे गंभीर थे और हम आवश्‍यकता पड़ने पर ईसीएमओ (एक तरह का लाइफ सपोर्ट) का उपयोग करके शिशु की सहायता के लिए तैयार थे। संयोग से, बच्‍चे का ऑपरेशन हो जाने के बाद कोई भी जटिल स्थिति पैदा नहीं हुई और उसके ठीक होने के लिए मात्र दवाओं व आईसीयू देखभाल की जरूरत थी।”

कोकिलाबेन धीरूभाई अम्‍बानी हॉस्पिटल के कार्यकारी निदेशक और सीईओ, डॉ. संतोष शेट्टी ने कहा, ”इन मां-बाप के सामने भारी से भारी कठिनाइयां आईं जिसके बावजूद वो काफी उम्‍मीद के साथ इराक से कोकिलाबेन धीरूभाई अम्‍बानी हॉस्पिटल आये। हमें खुशी है कि डॉक्‍टर्स की हमारी विशेष टीम समय से उपचार करके बच्‍चे की जान बचाने में सफल रही। हम सरकारी प्राधिकरणों के प्रति आभारी हैं जिन्‍होंने इन मां-बाप को उपचार के लिए भारत आने में सहायता की। कोकिलाबेन धीरूभाई अम्‍बानी हॉस्पिटल, कोविड महामारी के बीच भी जरूरतमंदों को स्‍वास्‍थ्‍य सेवा उपलब्‍ध कराने के लिए हमेशा संकल्पित है।”

शिशु के पिता, तारेक थामेर ने खुशी जताते हुए कहा, ”कोकिलाबेन हॉस्पिटल को बहुत-बहुत धन्‍यवाद, जिन्‍होंने हमें सर्वोत्‍तम सेवाएं प्रदान कीं। भारत में कदम रखने के बाद से हर चीज को अच्‍छी तरह से समन्‍वय हुआ। अस्‍पताल की सेवाएं बहुत ही अच्‍छी हैं। मैं विशेष तौर पर डॉ. सुरेश राव को धन्‍यवाद देता हूं जिन्‍होंने मेरे एक महीने के शिशु की यह जटिल सर्जरी की जिसकी सुविधा मेरे देश में उपलब्‍ध नहीं थी। मैं इराक लौटने के बाद भी लगातार डॉ. राव के संपर्क में रहूंगा।”

शिशु अभी अच्‍छा है और अस्‍पताल से उसे छुट्टी दे दी गयी है। शिशु के मां-बाप को अब राहत है और वो यात्रा संबंधी औपचारिकताएं पूरी हो जाने पर वापस घर लौटने की प्रतीक्षा में हैं। ends

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